ट्रंप ने अमेरिका में लगाया 'NO Entry' का तगड़ा ताला! सीरिया, माली समेत 39 देशों पर ट्रैवल बैन का विस्तार, यहां देखें पूरी लिस्ट।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी कठोर इमिग्रेशन पॉलिसी को नया मोड़ दिया है। मंगलवार को उन्होंने एक नई घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत अमेरिका में प्रवेश पर रोक लगाने वाले देशों की संख्या को दोगुना कर 39 तक पहुंचा दिया गया है। इस travel ban के नए दायरे में सीरिया और माली जैसे संवेदनशील देश शामिल हो गए हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने का दावा करते हुए लागू किया गया है। लेकिन यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीखी बहस छेड़ चुका है, जहां मानवाधिकार संगठन इसे भेदभावपूर्ण बता रहे हैं, वहीं ट्रंप प्रशासन इसे विदेशी आतंकवाद और सुरक्षा खतरों से बचाव का जरूरी कदम बता रहा है।
व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया है कि यह travel ban 1 जनवरी 2026 से पूरी तरह प्रभावी हो जाएगा। इसमें न केवल नए देशों को जोड़ा गया है, बल्कि कुछ मौजूदा देशों पर partial restrictions को full ban में बदल दिया गया है। प्रभावित देशों में बर्किना फासो, माली, नाइजर, साउथ सूडान, सीरिया और फलस्तीनी अथॉरिटी द्वारा जारी ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स वाले नागरिक शामिल हैं। इसके अलावा, लाओस और सिएरा लियोन जैसे देशों पर पहले जो आंशिक प्रतिबंध थे, वे अब पूर्ण रूप से लागू हो जाएंगे। यह फैसला ट्रंप के पहले टर्म की तरह ही विवादास्पद है, लेकिन 2025 के बदलते जियो-पॉलिटिकल माहौल में इसे और भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
ट्रंप का यह कदम उनके चुनावी वादों का हिस्सा लगता है, जहां उन्होंने अमेरिका की सीमाओं को 'किले' की तरह मजबूत बनाने की बात कही थी। जून 2025 में उन्होंने पहली बार 12 देशों पर पूर्ण travel ban और 7 पर आंशिक प्रतिबंध लगाए थे। उस समय भी यह फैसला विदेशी आतंकवादियों और अन्य सुरक्षा जोखिमों से निपटने के लिए जरूरी बताया गया था। अब, छह महीने बाद, सूची का विस्तार करते हुए ट्रंप ने साफ कहा है कि ये देश पर्याप्त वेटिंग और स्क्रीनिंग सिस्टम नहीं रखते, जिससे अमेरिका की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। उदाहरण के लिए, सीरिया को शामिल करने का कारण बताया गया है कि वहां अभी भी सेंट्रल अथॉरिटी की कमी है, पासपोर्ट और सिविल डॉक्यूमेंट्स जारी करने में समस्याएं हैं, और स्क्रीनिंग प्रक्रिया अपर्याप्त है।
यह फैसला खासतौर पर हैरान करने वाला इसलिए है क्योंकि नवंबर 2025 में ट्रंप ने सीरियाई राष्ट्रपति अहमद अल-शारा से व्हाइट हाउस में मुलाकात की थी। अल-शारा, जो अल-कायदा के पूर्व कमांडर रह चुके हैं और जिन पर वाशिंगटन ने लंबे समय तक foreign terrorist का लेबल लगाए रखा था, के साथ यह वार्ता सीरिया को स्थिर बनाने के अमेरिकी प्रयासों का प्रतीक बनी थी। ट्रंप ने तब कहा था कि वे सीरिया को सफल बनाने के लिए हर संभव मदद करेंगे। लेकिन अब travel ban में सीरिया को शामिल करना इस रैप्रोचमेंट को झटका लगता है। व्हाइट हाउस की फैक्ट शीट में लिखा है, "हालांकि सीरिया अमेरिका के साथ मिलकर अपनी सुरक्षा चुनौतियों का समाधान कर रहा है, लेकिन अभी भी वहां पर्याप्त सेंट्रल अथॉरिटी नहीं है और वेटिंग मेजर्स कमजोर हैं।" यह कदम दर्शाता है कि ट्रंप की पॉलिसी में सुरक्षा पहले आती है, भले ही डिप्लोमेसी के प्रयास चल रहे हों।
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नए बैन वाले देश: कौन-कौन फंसे इस जाल में?
ट्रंप के इस विस्तारित travel ban में कुल 39 देश आ गए हैं, जिनमें से कुछ पर full restrictions हैं, तो कुछ पर partial। जून 2025 के मूल लिस्ट में 12 देश थे: ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान, यमन, और कुछ अन्य। अब इसमें जोड़े गए नए देश इस प्रकार हैं:
- पूर्ण प्रतिबंध (Full Ban) वाले नए देश: बर्किना फासो, माली, नाइजर, साउथ सूडान, सीरिया।
- फलस्तीनी अथॉरिटी डॉक्यूमेंट्स: इनके जारी ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स पर भी पूर्ण रोक।
- पूर्व partial से full ban: लाओस, सिएरा लियोन।
- आंशिक प्रतिबंध वाले अतिरिक्त: 15 अन्य देशों पर नई सीमाएं, जैसे बढ़ी हुई वीजा जांच और एंट्री लिमिट्स।
पूरी लिस्ट देखें तो मूल 12 देशों के अलावा ये नए जुड़ाव हैं। होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने दिसंबर की शुरुआत में ही संकेत दिया था कि 30 से ज्यादा देशों को कवर करने का प्लान है। अब यह संख्या 39 पर पहुंच गई है, जिसमें अफ्रीकी देशों का बड़ा हिस्सा है। माली और बर्किना फासो जैसे देशों में चल रहे सिविल अनरेस्ट और टेरर थ्रेट्स को वजह बताया जा रहा है। नाइजर में भी हाल के कूप प्रयासों के बाद स्थिरता की कमी है, जबकि साउथ सूडान में पहले से ही सख्त प्रतिबंध थे, लेकिन अब इन्हें और कड़ा कर दिया गया।
यह travel ban न केवल टूरिस्ट्स या स्टूडेंट्स को प्रभावित करेगा, बल्कि इमिग्रेशन, फैमिली रीयूनियन और बिजनेस ट्रैवल को भी रोक देगा। उदाहरण के लिए, सीरिया से अमेरिका जाने वाले यात्रियों की संख्या पहले से कम थी – 2024 में मात्र 7,889 वीजा जारी हुए थे – लेकिन अब यह शून्य हो जाएगा। इसी तरह, साउथ सूडान से 696 वीजा प्रभावित होंगे। फलस्तीनी नागरिकों के लिए यह और कठोर है, क्योंकि उनके ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स पर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं।
ट्रंप की पुरानी नीति का नया अवतार
ट्रंप का यह travel ban उनकी पहली प्रेसिडेंसी (2017-2021) का 'मुस्लिम बैन' का अपडेटेड वर्शन लगता है, जो सुप्रीम कोर्ट ने वैध ठहराया था। जून 2025 में पहला विस्तार हुआ था, जब 12 देशों पर बैन लगाया गया। तब ट्रंप ने कहा था, "यह विदेशी आतंकवादियों से बचाव के लिए जरूरी है।" अब, दूसरे टर्म में, वे इसे और विस्तृत बना रहे हैं। लेकिन आलोचक कहते हैं कि यह नीति नस्लीय भेदभाव को बढ़ावा देती है, खासकर जब अफ्रीकी और मिडिल ईस्ट देशों को टारगेट किया जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं तेज हैं। यूएन के मानवाधिकार प्रमुख ने इसे 'अमानवीय' बताया, जबकि यूरोपीय संघ ने चिंता जताई कि यह ग्लोबल माइग्रेशन को प्रभावित करेगा। दूसरी ओर, ट्रंप समर्थक इसे 'अमेरिका फर्स्ट' पॉलिसी का प्रतीक बता रहे हैं। सीरिया के मामले में, अल-शारा की हालिया व्हाइट हाउस विजिट के बावजूद बैन लगाना, अमेरिकी डिप्लोमेसी में विरोधाभास दिखाता है। अल-शारा, जो बशर अल-असद के पतन के बाद सत्ता में आए, को अमेरिका ने sanctions relief दिया था, लेकिन अब travel ban से उनके देश के नागरिकों को नुकसान।
क्या होगा आगे?
इस travel ban से लाखों लोग प्रभावित होंगे। बॉर्डर पर सख्ती बढ़ेगी, वीजा प्रोसेसिंग में देरी होगी, और लीगल चैलेंजेस शुरू हो सकते हैं। ACLU जैसे संगठन पहले ही कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। आर्थिक रूप से, यह अमेरिकी यूनिवर्सिटीज और बिजनेस को हिट करेगा, जहां इन देशों से स्टूडेंट्स और वर्कर्स आते हैं। लेकिन ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि यह अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
कुल मिलाकर, यह फैसला ट्रंप की हार्डलाइन अप्रोच को रेखांकित करता है। क्या यह लंबे समय तक टिकेगा? या कोर्ट में पलट जाएगा? समय बताएगा। लेकिन फिलहाल, इन 39 देशों के लिए अमेरिका के दरवाजे बंद हैं। अगर आप इनमें से किसी देश से हैं, तो जल्दी चेक करें अपनी वीजा स्टेटस।
