कार्बी आंगलोंग में फिर भड़की हिंसा: बेदखली विवाद पर दो गुटों में झड़प, 8 घायल; इंटरनेट सेवा पूरी तरह बंद

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कार्बी आंगलोंग में ताजा हिंसा: बेदखली विवाद पर दो गुटों में झड़प, 8 घायल। पुलिस ने लाठीचार्ज-आंसू गैस चलाई। असम सरकार ने दो जिलों में इंटरनेट सेवा पूरी तरह बंद कर दी। पूरी खबर पढ़ें।

Karbi Anglong violence: Clashes between two groups over eviction drive, 8 people injured, police using tear gas


असम के कार्बी आंगलोंग और पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिलों में इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह से निलंबित कर दी गई हैं। यह फैसला मंगलवार (23 दिसंबर 2025) को लिया गया, जब eviction (बेदखली) से जुड़े मुद्दे पर दो अलग-अलग समूहों के बीच तीखी झड़पें हुईं और स्थिति बेकाबू हो गई। एक अधिकारी ने बताया कि सार्वजनिक शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है ताकि हालात और खराब न हों।


हालात की शुरुआत कैसे हुई?

यह सब कुछ हफ्तों से चली आ रही बेदखली की मांग से शुरू हुआ। कार्बी जनजाति और अन्य आदिवासी समुदायों के लोग काफी समय से Village Grazing Reserve (VGR) और Professional Grazing Reserve (PGR) भूमि पर कथित अवैध कब्जेदारों को हटाने की मांग कर रहे हैं। ये भूमियां संविधान की छठी अनुसूची के तहत आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए सुरक्षित हैं। इन इलाकों में बिहार और उत्तर प्रदेश से आए हिंदी भाषी लोग, साथ ही कुछ नेपाली समुदाय के लोग भी बसे हुए हैं, जिन्हें स्थानीय कार्बी लोग 'बाहरी' या 'अतिक्रमणकारी' मानते हैं।

फरवरी 2024 में कार्बी आंगलोंग ऑटोनॉमस काउंसिल (KAAC) ने लगभग 10,000 लोगों को 7,184 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण का नोटिस जारी किया था, लेकिन गौहाटी हाईकोर्ट में याचिका दायर होने के बाद eviction प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लग गई। इससे स्थानीय लोगों में गुस्सा और बढ़ गया।


दिसंबर 2025 की शुरुआत में Phelangpi इलाके में नौ लोगों ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की, जिसमें उन्होंने Kheroni क्षेत्र की VGR/PGR भूमि से अतिक्रमण हटाने की मांग की। यह हड़ताल 15 दिनों तक चली। 21 दिसंबर की रात को पुलिस ने नौ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया, जिससे तनाव और भड़क गया।

22 दिसंबर (सोमवार) को प्रदर्शनकारियों ने बड़ा प्रदर्शन किया। वे 26 किलोमीटर की दूरी तय कर Dongkamukam पहुंचे, जहां उन्होंने KAAC के चीफ एग्जीक्यूटिव मेंबर और बीजेपी नेता तुलिराम रोंगहांग के पैतृक घर को आग लगा दी। इसके अलावा Kheroni बाजार में 15 से ज्यादा दुकानें, मोटरसाइकिलें और अन्य संपत्तियां जलाई गईं। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस स्टेशन पर हमला करने की कोशिश भी की, लेकिन सुरक्षा बलों ने इसे नाकाम कर दिया।

पुलिस ने स्थिति नियंत्रित करने के लिए फायरिंग (खाली और हवाई फायरिंग) का सहारा लिया। इस हिंसा में कम से कम तीन प्रदर्शनकारी और कुछ सुरक्षा कर्मी घायल हुए।


तनाव दूसरे दिन भी जारी रहा

मंगलवार (23 दिसंबर) को स्थिति और बिगड़ गई। सोमवार को दुकानें जलाने वाली भीड़ के विरोध में महिलाएं, बच्चे और प्रभावित लोग सड़कों पर उतर आए। वहीं दूसरी तरफ बेदखली की मांग करने वाले प्रदर्शनकारी Kheroni बाजार में जमा हो गए। दोनों पक्षों के बीच पत्थरबाजी शुरू हो गई। झड़प इतनी उग्र हो गई कि पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।

इस हिंसा में कम से कम आठ लोग घायल हुए, जिनमें प्रदर्शनकारी, पुलिसकर्मी और घटना को कवर कर रहे मीडिया कर्मी भी शामिल थे। घायलों को गौहाटी के अस्पताल में भर्ती कराया गया। स्थिति अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है, और अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है।

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प्रशासन ने क्या कदम उठाए?

जिला मजिस्ट्रेट निरोला फंगचोपी ने Bharatiya Nyaya Suraksha Sanhita (BNSS) की धारा 163 लागू कर दी है, जो 22 दिसंबर से लागू है और आगे तक जारी रहेगी। इस आदेश के तहत:


  • पांच या उससे ज्यादा लोगों का इकट्ठा होना पूरी तरह प्रतिबंधित।
  • शाम 5 बजे से सुबह 6 बजे तक लोगों और निजी वाहनों की आवाजाही पर रोक (नाइट कर्फ्यू)।
  • रैलियां, धरना, मशाल जुलूस, पोस्टर, भड़काऊ भाषण, फायरक्रैकर्स, हथियार और लाउडस्पीकर का इस्तेमाल बिना अनुमति के वर्जित।

इसके अलावा, इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाएं पूरी तरह बंद कर दी गई हैं। गृह विभाग के आदेश में कहा गया है कि यह कदम सार्वजनिक शांति बनाए रखने और अफवाहों से बचने के लिए उठाया गया है।


अधिकारियों की प्रतिक्रिया

असम पुलिस के आईजी (कानून-व्यवस्था) अखिलेश कुमार सिंह ने ANI को बताया, "एक पक्ष को खाली कराया जा चुका है, दूसरे को भी जल्द खाली कराया जाएगा। शांतिपूर्ण बातचीत हुई है। एक मंत्री लोगों की शिकायतें सुनने पहुंचे थे। अगर किसी को कोई समस्या है तो कानूनी रास्ता अपनाएं। कोई भी कानून अपने हाथ में न लें। पर्याप्त बल तैनात किया गया है।"

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने स्थिति को "बहुत संवेदनशील" बताया। शिक्षा मंत्री रनोज पेगु ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया और प्रदर्शनकारियों से बात की। उनकी अपील पर भूख हड़ताल खत्म कर दी गई और दिसंबर के अंत तक त्रिपक्षीय बैठक (राज्य सरकार, KAAC और प्रदर्शनकारी) का वादा किया गया। मुख्यमंत्री इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे।


पृष्ठभूमि और गहरा मुद्दा

कार्बी आंगलोंग एक पहाड़ी इलाका है, जहां कार्बी जनजाति बहुसंख्यक है। यह संवैधानिक रूप से संरक्षित क्षेत्र है, जहां भूमि अधिकार आदिवासियों के लिए सुरक्षित हैं। लेकिन सालों से बाहरी लोगों का बसना, भूमि पर कब्जा और विकास की कमी जैसे मुद्दे उबाल पर हैं। पिछले साल भी इसी तरह की हिंसा हुई थी।

अधिकारियों का कहना है कि कानूनी बाधाओं के कारण eviction नहीं हो पा रहा, लेकिन सरकार बातचीत से समाधान निकालना चाहती है। फिलहाल स्थिति नाजुक बनी हुई है। लोग डरे हुए हैं, दुकानें बंद हैं और सुरक्षा बल हर जगह तैनात हैं।

यह घटना असम में आदिवासी अधिकारों और भूमि विवादों की जटिलता को फिर से उजागर करती है। उम्मीद है कि आगामी त्रिपक्षीय बैठक से शांति बहाल हो सकेगी और कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा।

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