दिल की बीमारियां आज दुनिया में मौत का सबसे बड़ा कारण बनी हुई हैं। हम में से ज्यादातर लोग दिल की सेहत के लिए कई चीजें करते हैं – रोज एस्पिरिन खाना, नमक बिल्कुल बंद कर देना, ब्लड प्रेशर थोड़ा सा बढ़ा नहीं कि घबरा जाना, या धड़कन अनियमित हुई नहीं कि तुरंत एंग्जायटी का नाम दे देना। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सारी “अच्छी आदतें” असल में आपके दिल को नुकसान भी पहुंचा सकती हैं?
प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट और हार्ट ट्रांसप्लांट स्पेशलिस्ट डॉ. दमित्री यारानोव (Dr. Dmitry Yaranov) ने 1 दिसंबर को अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें उन्होंने बताया कि उन्होंने खुद अपनी जिंदगी से कौन सी 10 गलत आदतें पूरी तरह छोड़ दीं, ताकि उनका दिल बिल्कुल स्वस्थ रहे। ये वो आदतें हैं जो आम लोग “दिल के लिए अच्छी” समझकर अपनाते हैं, लेकिन असल में ये भ्रम हैं।
यहाँ डॉ. यारानोव की बताई हुई वो 10 आदतें
1. हर हाई बीपी रीडिंग पर घबराना बंद किया
एक बार बीपी हाई आया तो समझ लिया कि अब हार्ट अटैक आने वाला है? डॉक्टर साहब कहते हैं – “ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा बदलता रहता है। नींद, तनाव, कॉफी, दर्द या क्लिनिक में घुसते ही डर से भी बीपी बढ़ जाता है। एक रीडिंग से कुछ नहीं होता, ट्रेंड देखो – औसत निकालो।
2. हर किसी का LDL कोलेस्ट्रॉल “परफेक्ट” करने की जिद छोड़ी
लोग सोचते हैं LDL जितना कम उतना अच्छा। लेकिन डॉक्टर कहते हैं, “सिर्फ LDL नंबर से कुछ नहीं होता। असली खतरा धमनियों में जमा सॉफ्ट प्लाक, सूजन और मेटाबॉलिक प्रोफाइल से होता है। उम्र के हिसाब से रिस्क देखकर ही दवा दी जाती है, न कि सिर्फ नंबर परफेक्ट करने के लिए।
3. उम्र बढ़ने पर अपने आप एस्पिरिन शुरू करना बंद किया
पहले कहा जाता था 50 पार होते ही रोज एक एस्पिरिन खाओ। अब नई गाइडलाइंस कहती हैं – बिना रिस्क के एस्पिरिन खाना खतरनाक है। डॉ. यारानोव कहते हैं, “ज्यादातर लोगों में ब्लीडिंग का खतरा फायदे से ज्यादा होता है। अब असली जोखिम देखकर ही एस्पिरिन दी जाती है, जन्मदिन देखकर नहीं।
4. धड़कन अनियमित हुई तो सीधे “टेंशन” का ठप्पा लगाना बंद किया
पाल्पिटेशन हुआ नहीं कि लोग बोल देते हैं – “अरे टेंशन मत लो, एंग्जायटी है”। डॉक्टर साहब कहते हैं, “PVC, PAC, SVT, एट्रियल फाइब्रिलेशन, एनीमिया, थायरॉइड, डिहाइड्रेशन या नींद की कमी – ये सब कारण हो सकते हैं। सिर्फ एंग्जायटी बोलकर असली बीमारी छुपा लेते हैं।
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5. स्ट्रेस टेस्ट को “सब साफ” का सर्टिफिकेट मानना छोड़ा
स्ट्रेस टेस्ट नॉर्मल आया तो लोग खुश हो जाते हैं कि धमनियां साफ हैं। लेकिन डॉक्टर कहते हैं, “स्ट्रेस टेस्ट सॉफ्ट प्लाक नहीं पकड़ता, और हार्ट अटैक ज्यादातर इसी सॉफ्ट प्लाक फटने से होता है। नॉर्मल टेस्ट का मतलब धमनियां साफ नहीं।
6. नमक को हर किसी का दुश्मन समझना बंद किया
लोग नमक बिल्कुल छोड़ देते हैं। डॉ. यारानोव कहते हैं, “नमक सिर्फ हार्ट फेल्योर और कुछ हाइपरटेंशन वालों के लिए कम करना जरूरी है। बाकी स्वस्थ लोगों को जरूरत से कम नमक लेने से स्ट्रेस हार्मोन बढ़ जाते हैं। बैलेंस चाहिए।
7. स्टेटिन दवा को हर दर्द का जिम्मेदार ठहराना छोड़ा
लोग बोलते हैं स्टेटिन से मांसपेशियों में दर्द होता है, इसलिए छोड़ दो। डॉक्टर कहते हैं, “ज्यादातर दर्द नोसीबो इफेक्ट (मन का वहम) होता है। स्टेटिन आज भी दिल की सबसे सिद्ध दवा है।
8. GLP-1 दवाएं (Ozempic, Mounjaro आदि) वजन घटते ही बंद करना छोड़ा
लोग सोचते हैं टारगेट वजन आ गया तो दवा बंद। डॉक्टर कहते हैं, “मोटापा क्रॉनिक बीमारी है। दवा बंद करते ही 90% लोग फिर मोटे हो जाते हैं और सारा रिस्क वापस आ जाता है। इसे लाइफलॉन्ग लेना पड़ता है।
9. सप्लीमेंट्स को “नेचुरल = हमेशा सुरक्षित” मानना बंद किया
लोग बिना डॉक्टर के ढेर सारे सप्लीमेंट्स खाते हैं। डॉ. यारानोव चेताते हैं, “कई सप्लीमेंट्स ब्लड थिनर, बीपी की दवा, स्टेटिन और एरिदमिया की दवाओं के साथ खतरनाक रिएक्शन करते हैं। नेचुरल का मतलब सुरक्षित नहीं।
10. कैल्शियम स्कोर को “फाइनल रिपोर्ट कार्ड” मानना छोड़ा
कैल्शियम स्कोर जीरो आया तो लोग सोचते हैं अब दिल का कोई खतरा नहीं। लेकिन डॉक्टर कहते हैं, “कैल्शियम स्कोर सिर्फ सख्त प्लाक देखता है, सॉफ्ट प्लाक नहीं देखता। जीरो स्कोर रिस्क कम बताता है, लेकिन गारंटी नहीं देता।”
अंत में डॉक्टर यारानोव का संदेश
दिल की सेहत के लिए सबसे जरूरी है सही जानकारी और सही मूल्यांकन। बिना वजह की घबराहट, बिना वजह की दवाएं और बिना वजह के परहेज छोड़कर असली रिस्क फैक्टर्स (प्लाक बर्डन, सूजन, मेटाबॉलिक हेल्थ, फैमिली हिस्ट्री) पर ध्यान दो।
(नोट: यह लेख केवल जागरूकता के लिए है। किसी भी दवा या आदत को शुरू/बंद करने से पहले अपने कार्डियोलॉजिस्ट से जरूर सलाह लें।)
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