कर्नाटक के बेंगलुरु के पास सिद्देहल्ली गांव के एक पुजारी नरसिम्हा मूर्ति ने कन्नड़ फिल्म उद्योग (सैंडलवुड) में एक अनोखा इतिहास रच दिया है। उन्होंने बिना किसी अभिनेता, संगीतकार या क्रू के, सीमित बजट और समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से अपनी सपनों की कहानी को पर्दे पर उतारा। उनकी 95 मिनट की कन्नड़ फिल्म लव यू ने न केवल दर्शकों का ध्यान खींचा, बल्कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) से U/A सर्टिफिकेशन भी हासिल किया। यह उपलब्धि भारतीय सिनेमा में AI जनरेटेड फिल्मों के लिए एक मील का पत्थर साबित हुई है। आइए, जानते हैं कि नरसिम्हा और उनके सहयोगी नूतन ने कैसे इस क्रांतिकारी प्रोजेक्ट को अंजाम दिया और यह सैंडलवुड के लिए क्यों महत्वपूर्ण है।
एक पुजारी का सिनेमाई सपना
नरसिम्हा मूर्ति, जो पेशे से एक पुजारी हैं, ने हमेशा से सिनेमा के प्रति जुनून रखा। उनका सपना था कि वे दुनिया की पहली AI जनरेटेड फीचर फिल्म बनाएं और इसे थिएटर में रिलीज करें। हालांकि, उनकी फिल्म लव यू दुनिया की पहली AI फिल्म नहीं है (2024 में Where The Robots Grow पहले ही रिलीज हो चुकी थी), लेकिन यह सैंडलवुड की पहली AI जनरेटेड फिल्म है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। नरसिम्हा ने टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) से बातचीत में बताया कि उनका लक्ष्य इस फिल्म को कम से कम एक स्क्रीन पर रिलीज करके एक रिकॉर्ड स्थापित करना है।
इस फिल्म को बनाने के लिए नरसिम्हा ने ग्राफिक डिजाइनर से AI तकनीशियन बने नूतन के साथ मिलकर काम किया। इस दो सदस्यीय टीम ने फिल्म के हर पहलू को डिजाइन किया, जिसमें किरदार, साउंडट्रैक, विजुअल्स और यहां तक कि ड्रोन शॉट्स भी शामिल हैं। फिल्म को बनाने में 30 अलग-अलग AI टूल्स का इस्तेमाल किया गया, और इसे केवल छह महीने में ₹10 लाख के बजट में पूरा किया गया। इस बजट का अधिकांश हिस्सा सॉफ्टवेयर लाइसेंसिंग पर खर्च हुआ।
AI के साथ फिल्म निर्माण की प्रक्रिया
AI जनरेटेड फिल्म बनाना आसान काम नहीं था। नरसिम्हा और नूतन ने मिलकर फिल्म के सभी तत्वों को तैयार किया। फिल्म में 12 मूल गाने हैं, जिनके लिए नरसिम्हा ने गीत और संवाद लिखने में योगदान दिया। AI ने न केवल किरदारों को डिजाइन किया, बल्कि उनके डायलॉग्स और गानों को भी जनरेट किया। इसके अलावा, फिल्म के विजुअल्स, जैसे कि ड्रोन शॉट्स और सिनेमैटिक दृश्य, भी AI टूल्स की मदद से बनाए गए।
हालांकि, इस प्रक्रिया में कई चुनौतियां भी थीं। नरसिम्हा ने बताया कि CBFC के क्षेत्रीय सेंसर अधिकारी ने फिल्म में किरदारों की विशेषताओं में असंगतियों को इंगित किया। उदाहरण के लिए, एक दृश्य से दूसरे दृश्य में किरदारों की शक्ल में बदलाव दिखाई देता था। इसके अलावा, किरदारों के चेहरे पर भावनात्मक अभिव्यक्तियां बनाना और लिप-सिंकिंग को सही करना भी एक बड़ी चुनौती थी। फिर भी, CBFC ने फिल्म की महत्वाकांक्षा और नवाचार की सराहना की और इसे U/A सर्टिफिकेशन प्रदान किया।
AI टेक्नोलॉजी की रफ्तार और भविष्य
नूतन ने बताया कि AI टेक्नोलॉजी इतनी तेजी से विकसित हो रही है कि जिस समय उन्होंने लव यू बनाई, तब इस्तेमाल किए गए टूल्स अब छह महीने पुराने हो चुके हैं। नूतन का कहना है, "अगर हम आज वही फिल्म दोबारा बनाएं, तो यह हजार गुना बेहतर होगी।" यह बयान AI टेक्नोलॉजी की गति और इसकी संभावनाओं को दर्शाता है। नरसिम्हा भी इस क्षेत्र में और प्रयोग करने के लिए उत्साहित हैं। उन्होंने बताया कि वे दो और AI जनरेटेड प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं, जो बेंगलुरु के संस्थापक Kempe Gowda और ऐतिहासिक शख्सियत Immadi Pulikeshi पर आधारित होंगे।
सैंडलवुड के लिए एक नया युग
लव यू की सफलता ने सैंडलवुड में एक नई शुरुआत की है। पारंपरिक फिल्म निर्माण में बड़े बजट, सैकड़ों क्रू मेंबर्स और महीनों की शूटिंग की जरूरत होती है। लेकिन नरसिम्हा और नूतन ने दिखाया कि AI की मदद से कम संसाधनों में भी एक फीचर फिल्म बनाई जा सकती है। यह न केवल छोटे बजट के फिल्ममेकर्स के लिए एक प्रेरणा है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि AI सिनेमा के भविष्य को कैसे बदल सकता है।
AI जनरेटेड फिल्मों का यह दौर भारतीय सिनेमा में कई नए अवसर खोल सकता है। उदाहरण के लिए, छोटे शहरों और गांवों के कहानीकार, जिनके पास बड़े प्रोडक्शन हाउस तक पहुंच नहीं है, अब AI टूल्स की मदद से अपनी कहानियों को बड़े पर्दे पर ला सकते हैं। साथ ही, AI टेक्नोलॉजी लागत को कम करके फिल्म निर्माण को और सुलभ बना सकती है।
चुनौतियां और आलोचनाएं
हालांकि लव यू की उपलब्धि सराहनीय है, लेकिन AI जनरेटेड फिल्मों को लेकर कुछ आलोचनाएं और सवाल भी उठ रहे हैं। पहला, AI से बनी फिल्मों में मानवीय संवेदनाओं और गहराई की कमी हो सकती है। जैसा कि नरसिम्हा ने बताया, किरदारों की भावनात्मक अभिव्यक्तियां और लिप-सिंकिंग अभी भी परफेक्ट नहीं हैं। दूसरा, कुछ लोग यह तर्क दे सकते हैं कि AI का इस्तेमाल अभिनेताओं, संगीतकारों और अन्य क्रू मेंबर्स की आजीविका को प्रभावित कर सकता है।
इसके बावजूद, नरसिम्हा का मानना है कि AI सिनेमा में एक सहायक उपकरण है, न कि मानव रचनात्मकता का विकल्प। उनका कहना है कि AI ने उन्हें अपनी कहानी को दुनिया तक पहुंचाने में मदद की, जो पारंपरिक तरीकों से संभव नहीं था।
भविष्य की संभावनाएं
नरसिम्हा और नूतन की जोड़ी ने साबित कर दिया कि AI सिनेमा के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है। उनकी सफलता अन्य फिल्ममेकर्स को भी AI टूल्स का उपयोग करने के लिए प्रेरित कर सकती है। साथ ही, यह तकनीक क्षेत्रीय सिनेमा, जैसे कि कन्नड़, तमिल, या मलयालम फिल्म उद्योगों, को वैश्विक मंच पर ले जाने में मदद कर सकती है।
नरसिम्हा की अगली दो परियोजनाएं, जो Kempe Gowda और Immadi Pulikeshi पर आधारित हैं, न केवल ऐतिहासिक कहानियों को जीवंत करेंगी, बल्कि AI टेक्नोलॉजी की नई संभावनाओं को भी प्रदर्शित करेंगी। अगर ये प्रोजेक्ट्स लव यू की तरह सफल होते हैं, तो यह सैंडलवुड और भारतीय सिनेमा के लिए एक नया अध्याय शुरू कर सकता है।
नरसिम्हा मूर्ति और नूतन की लव यू सैंडलवुड की पहली AI जनरेटेड फिल्म है, जो तकनीक और रचनात्मकता का एक शानदार मिश्रण है। केवल दो लोगों की टीम, ₹10 लाख का बजट, और छह महीने के समय में बनी यह फिल्म न केवल एक प्रेरणा है, बल्कि सिनेमा के भविष्य की एक झलक भी है। जैसे-जैसे AI टेक्नोलॉजी और विकसित होगी, वैसे-वैसे यह फिल्म उद्योग में और बड़े बदलाव लाएगी। नरसिम्हा का यह प्रयोग साबित करता है कि सपने पूरे करने के लिए संसाधनों की कमी कोई बाधा नहीं है, अगर आपके पास रचनात्मकता और तकनीक का साथ हो।