रूस-यूक्रेन युद्ध के दो साल बाद, दोनों देशों के नेताओं के बीच पहली बार सीधी वार्ता होने की संभावना बनी है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर zelensky ने रविवार को कहा कि वे इस हफ्ते तुर्की में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने के लिए तैयार हैं। यह घोषणा तब हुई जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों को युद्धविराम के लिए बातचीत करने का आग्रह किया।

पुतिन ने तुर्की में वार्ता का प्रस्ताव रखा
रूस ने पिछले कुछ दिनों में यूक्रेन पर कई मोर्चों पर हमले तेज कर दिए हैं। इसके जवाब में यूक्रेन के यूरोपीय सहयोगियों ने रूस को चेतावनी दी कि अगर वह 30 दिनों के युद्धविराम के लिए राजी नहीं हुआ, तो नए प्रतिबंध लगाए जाएंगे। हालांकि, पुतिन ने इस चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए तुर्की में सीधी वार्ता का प्रस्ताव रखा।
यह पहला मौका है जब पुतिन ने 2022 में युद्ध शुरू करने के बाद यूक्रेन के साथ सीधी बातचीत की पेशकश की है। पुतिन के इस कदम के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मुझे अब संदेह होने लगा है कि यूक्रेन पुतिन के साथ कोई समझौता कर पाएगा। रूसी राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन के साथ युद्धविराम नहीं चाहते, बल्कि वे तुर्की में बैठकर इस खूनखराबे को खत्म करने की बात करना चाहते हैं।
ट्रंप के दबाव के बाद zelensky ने माना प्रस्ताव
ट्रंप ने zelensky से कहा कि वे पुतिन के प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार करें। इसके कुछ ही घंटों बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, “मैं गुरुवार को तुर्की में पुतिन से मिलने के लिए तैयार हूँ। मुझे उम्मीद है कि इस बार रूस कोई बहाना नहीं बनाएगा।”
ज़ेलेंस्की की इस घोषणा से पहले यूक्रेन के सहयोगी देशों ने कहा था कि अगर पुतिन बिना शर्त युद्धविराम पर सहमत नहीं होते हैं, तो आगे कोई वार्ता नहीं होगी। लेकिन ट्रंप के दबाव के बाद उन्होंने अपना रुख बदल लिया।
और पढ़ें: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर ट्रम्प प्रशासन का $2.2 बिलियन फंडिंग फ्रीज
Zelensky और पुतिन की इस बैठक से युद्ध खत्म होगा?
दोनों नेताओं के बीच यह बैठक यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकती है। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि रूस अपनी मांगों पर अड़ा रह सकता है, जिसमें यूक्रेन के कुछ हिस्सों पर कब्ज़ा शामिल है।
रूस की मांगें:
यूक्रेन द्वारा क्रीमिया को रूस का हिस्सा मानना।
डोनबास और लुहान्स्क क्षेत्रों को स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देना।
यूक्रेन का नाटो में शामिल न होना।
यूक्रेन की शर्तें:
रूसी सेना का पूरी तरह से यूक्रेन से हटना।
युद्ध में हुए नुकसान की भरपाई।
यूक्रेन की संप्रभुता और सीमाओं की गारंटी।
तुर्की क्यों बना मध्यस्थ?
तुर्की ने यूक्रेन युद्ध के दौरान एक मध्यस्थ की भूमिका निभाई है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोआन ने पहले भी दोनों देशों के बीच अनाज समझौता करवाने में अहम भूमिका निभाई थी। तुर्की, नाटो का सदस्य होने के बावजूद, रूस के साथ अच्छे संबंध बनाए हुए है, जिस कारण यह बैठक के लिए सही जगह मानी जा रही है।
अगर ज़ेलेंस्की और पुतिन के बीच यह बैठक सफल रहती है, तो यह यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि होगी। हालांकि, अभी भी कई चुनौतियाँ हैं, क्योंकि दोनों देशों की मांगें एक-दूसरे के विपरीत हैं। पूरी दुनिया की नजरें अब गुरुवार को तुर्की में होने वाली इस बैठक पर टिकी हैं।
#RussiaUkraineWar #Zelensky #Putin #TurkeyPeaceTalks #Ceasefire