बॉलीवुड में नेपोटिज्म (परिवारवाद) का मुद्दा लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। इस पर कई बार बहस हो चुकी है, और लोग इसे लेकर दो धड़ों में बंटे हुए हैं। कुछ का मानना है कि बॉलीवुड में रिश्तों और कनेक्शन्स की वजह से नए चेहरों को मौका मिलना मुश्किल होता है, जबकि अन्य मानते हैं कि असली टैलेंट को कोई नहीं रोक सकता। इस बहस में हाल ही में मशहूर अभिनेता Rajpal Yadav ने अपनी राय रखी और एक बार फिर इस मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया।

Rajpal Yadav का बयान: नेपोटिज्म का कोई अस्तित्व नहीं
हाल ही में एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में Rajpal Yadav ने बॉलीवुड में नेपोटिज्म के मुद्दे पर खुलकर बात की। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि बॉलीवुड में नेपोटिज्म जैसी कोई चीज नहीं है। उनका मानना है कि भले ही शुरुआती मौका रिश्तों या परिवार की वजह से मिल जाए, लेकिन सफलता केवल और केवल टैलेंट, मेहनत और दर्शकों के प्यार पर निर्भर करती है।
नेपोटिज्म अगर होता तो शाहरुख खान साहब कैसे होते, राजपाल यादव कैसे होता, परेश रावल कैसे होते, अनुपम खेर साहब कैसे होते, अक्षय कुमार साहब कैसे होते, जॉनी लीवर साहब कैसे होते, संजीव कुमार साहब कैसे होते, राजेश खन्ना साहब कैसे होते, धर्मेंद्र साहब कैसे होते?”
Rajpal ने अपने बयान में उन सितारों का जिक्र किया, जिन्होंने बिना किसी बड़े फिल्मी बैकग्राउंड के बॉलीवुड में अपनी जगह बनाई। यह बयान न केवल उनकी अपनी मेहनत और संघर्ष को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि बॉलीवुड में टैलेंट और दर्शकों की स्वीकृति ही असली मापदंड है।
शुरुआती मौका और सफलता का अंतर
Rajpal Yadav ने इस बात को स्वीकार किया कि किसी बड़े फिल्मी परिवार से होने की वजह से शुरुआती मौका मिलना संभव है। लेकिन उनका यह भी कहना है कि यह मौका सफलता की गारंटी नहीं देता। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर कोई खिलाड़ी है, तो उसके बच्चे को खेल में मौका मिल सकता है। ठीक उसी तरह, अगर कोई व्यक्ति 30 साल से फिल्म या टेलीविजन इंडस्ट्री में काम कर रहा है, तो उसके बच्चे को फिल्ममेकिंग का बेसिक ज्ञान तो होगा ही। लेकिन उसका सफल होना या न होना पूरी तरह से उसकी अपनी काबिलियत, मेहनत और दर्शकों की प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है।
अगर आप खिलाड़ी हैं, तो आपके बच्चे को खेलने का मौका मिलेगा। ठीक वैसे ही, अगर कोई व्यक्ति 30 साल से फिल्म या टेलीविजन में है, तो उसका बच्चा… उसे पता होगा कि मेरे पिता क्या करते हैं। तो वह फिल्ममेकिंग सीखेगा, लेकिन वह चलेगा कि नहीं चलेगा, कर पाएगा कि नहीं कर पाएगा, वो ऊर्जा है या नहीं है, वो ऊपरवाला या ऑडियंस तय करती है। नेपोटिज्म नहीं है।
Rajpal Yadav का व्यक्तिगत अनुभव
राजपाल यादव (Rajpal Yadav) ने अपने 38 साल के अभिनय करियर का जिक्र करते हुए बताया कि उनके परिवार में किसी ने उन्हें बॉलीवुड या थिएटर में जाने के लिए प्रेरित नहीं किया। यह उनका अपना फैसला था। उन्होंने अपने बच्चों को भी यही सलाह दी कि सिनेमा और खेल जैसे क्षेत्रों में कोई किसी का जीवन नहीं बना सकता। अगर आपके अंदर का सच्चा और अच्छा इंसान आपको कहता है कि आप यह कर सकते हैं, तो आपको खुद आगे बढ़ना होगा।
उन्होंने यह भी बताया कि उनके पास 200 से ज्यादा रिश्तेदार हैं, लेकिन वह किसी को भी बॉलीवुड में काम दिलाने में सक्षम नहीं हुए। इससे साफ है कि उनके लिए भी यह इंडस्ट्री केवल मेहनत और टैलेंट का खेल रही है।
“मैं 38 साल से अभिनय कर रहा हूं। मेरे पास कम से कम 200 रिश्तेदार हैं। मैं तो एक को भी नहीं करवा पाया… देखिए, आशीर्वाद अपनी-अपनी, मेहनत अपनी है, और अंत में दर्शक तय करते हैं।
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Rajpal Yadav का करियर: मेहनत का जीता-जागता उदाहरण
Rajpal Yadav का करियर इस बात का जीता-जागता सबूत है कि बॉलीवुड में टैलेंट और मेहनत ही आपको आगे ले जाती है। साल 2000 में रिलीज हुई राम गोपाल वर्मा की फिल्म जंगल से उन्हें पहली बड़ी सफलता मिली। इसके बाद उनकी कॉमेडी और अभिनय की अनूठी शैली ने उन्हें दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया। एक और एक ग्यारह, मुझसे शादी करोगी, भूल भुलैया, भागम भाग, पार्टनर, गरम मसाला, और हंगामा जैसी फिल्मों में उनकी अदाकारी ने दर्शकों का दिल जीता।
उनके स्लैपस्टिक कॉमेडी स्टाइल और किरदारों में जान डालने की कला ने उन्हें कई अवॉर्ड्स और सम्मान दिलाए। राजपाल यादव का यह सफर इस बात का सबूत है कि अगर आपके पास टैलेंट है और आप मेहनत करने को तैयार हैं, तो बॉलीवुड में कोई भी आपको रोक नहीं सकता।
क्या वाकई बॉलीवुड में नेपोटिज्म नहीं है?
Rajpal Yadav का बयान भले ही टैलेंट और मेहनत पर जोर देता हो, लेकिन बॉलीवुड में नेपोटिज्म को लेकर बहस अभी खत्म नहीं हुई है। कई लोग मानते हैं कि स्टार किड्स को आसानी से बड़े बैनर की फिल्में और मौके मिल जाते हैं, जबकि बाहरी लोगों को इसके लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। हालांकि, राजपाल जैसे अभिनेताओं का उदाहरण यह भी बताता है कि अगर आपमें काबिलियत है, तो आप जरूर अपनी जगह बना सकते हैं।
शाहरुख खान, अक्षय कुमार, और धर्मेंद्र जैसे सितारों ने भी अपने दम पर बॉलीवुड में मुकाम हासिल किया। इन सितारों का कोई फिल्मी बैकग्राउंड नहीं था, फिर भी इन्होंने अपनी मेहनत और टैलेंट के दम पर दर्शकों के दिलों में जगह बनाई।
निष्कर्ष: Rajpal Yadav का यह बयान न केवल बॉलीवुड में नेपोटिज्म के मुद्दे पर एक नया दृष्टिकोण देता है, बल्कि यह भी प्रेरित करता है कि मेहनत और टैलेंट के दम पर कोई भी अपने सपनों को पूरा कर सकता है। बॉलीवुड एक ऐसी इंडस्ट्री है, जहां दर्शक ही असली निर्माता हैं। अगर आपमें काबिलियत है और दर्शक आपको पसंद करते हैं, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती।
Rajpal Yadav का यह बयान उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो बॉलीवुड में अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं। उनकी बातें हमें याद दिलाती हैं कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। मेहनत, लगन और टैलेंट ही आपको सितारा बना सकता है।